Qurbani ki haqeeqat aur uski ahmiyat | History of Qurbani

कुर्बानी की हकीकत और उसकी हिकमत

जिल हज्ज का चांद देखते ही सारे मुसलमान कुर्बानी ( Qurbani ) की तैयारी में लग जाते हैं और अल्लाह की रजा के लिए उसकी राह में माली कुर्बानी  के लिए तैयारी करने लगते हैं . मगर अक्सर मुसलमान कुरबानी की हकीकत और हिकमत से बाखबर नहीं है, जिसकी वजह से वह कुर्बानी की बरकतों से महरुम रहते हैं . लिहाजा हम आपको कुर्बानी के बारे में कुछ बातें ,उसकी हकीकत और हिकमत बताएंगे ताकि आप उनको पढ़कर कुर्बानी की हकीकत और हिकमत को जान सकें और कुर्बानी का जज़्आबा पके दिल में और ज्यादा पैदा हो.

नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम को कुर्बानी का हुकुम

अल्लाह ताला ने कलाम ए मुकद्दस में इरशाद फरमाया : बेशक हमने तुम्हें बेशुमार खूबियाँ अता फरमाया तो तुम अपने रब के लिए नमाज पढ़ो और कुर्बानी करो. बेशक जो तुम्हारा दुश्मन है वहीं हर भलाई और हर खैर से महरूम है.
पारा 30 सूरह कौसर

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों इस सूरत में अल्लाह ताला ने सबसे पहले इस बात का जिक्र फरमाया कि हमने नबी अकरम सल्लल्लाहो ताला अलैहि  वसल्लम को बेशुमार खूबिया अता फरमायी . और फिर हम उन्हें यह हुक्म फरमा रहे हैं कि वह मेरे लिए नमाज़ पढ़े और कुर्बानी करें.

इस तरतीब से इस बात की तरफ इशारा करना मकसूद है कि अल्लाह ताला की अता करदा नेमतों पर शुक्र अदा करने का बेहतरीन जरिया नमाज है और उसके बाद कुर्बानी है.

कुर्बनी का माना और उसका मतलब

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों से कुर्बानी जो उर्दू में इस्तेमाल किया जाता है इसको अरबी जबान में कुर्बान कहते हैं . जैसा कि कुरान में मौजूद है : हत्ता यातियना बि कुर्बानिन ताकुलुहूँ नार .

पारा 4 आयत 183

लफज़े कुर्बान क़ुरब से बना है जिसका माना है करीब होना , तो गोया  कुर्बानी अल्लाह ताला से करीब होने का एक जरिया है कि जो लोग सच्चे दिल से ख़ुलूस के साथ कुर्बानी करते हैं वह लोग अल्लाह ताला से करीब हो जाते हैं.

कुर्बानी क्या है | Qurbani kya hai ?

हज़रत ज़ैद बिन अरकम रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के सहाबा ने पूछा : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम कुर्बानियां क्या है ? तो आपने फरमाया है मेरे सहाबा यह कुर्बानियां तुम्हारे बाप इब्राहिम अलैहिस सलाम की सुन्नत है . सहाबा ने पूछा :  या रसूल अल्लाह हमारे लिए इनमें क्या है ? तो आपने इरशाद फरमाया : तुम्हारे लिए हर बाल के बराबर नेकी है . सहाबा ने कहा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु ताला अलैहि वसल्लम क्केया भेड के बाल के बराबर भी नेकी है . तो आप ने इरशाद फरमाया की भेड़ के बाल के हर सूत के बराबर नेकी है . अल्लाह हू अकबर कितनी बड़ी नेकी और फजीलत है अल्लाह तबारक व ताला ने हमको यह अजीम नेमत अता फरमाया और इस अजीम नेमत को अदा करके हम बेशुमार नेकियों को जमा करने में कामयाब होते हैं.

कुर्बानी की हकीकत | Qurbani ki haqeeqat kya hai?

शमशुल अय्यिमा  इमाम सरखसी रहमतुल्ला अलेह लिखते हैं माली इबादत की दो किस्में हैं . एक ब तरीक e तमलीक है यानी अल्लाह ताला की रजा के लिए किसी को कोई चीज दे देना , जैसे सदका और खैरारात करना , जकात देना वगैरा . और एक ब तरीक e इत्लाफ है यानी अल्लाह ताला की रजा के लिए किसी चीज को हलाक कर देना. जैसे गुलाम आजाद करना . कुर्बानी में यह दोनों किसमें जमा हो जाती हैं इसमें जानवर का खून बहाकर अल्लाह का क़ुरब हासिल किया जाता है. यह इतलाफ है और उसके गोशत को सदका किया जाता है यह तमिलक है.

कुर्बानी कब से शुरू हुई | Qurbani kab se shuru hui ?

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों अल्लाह तबारक व ताला का फरमान है : और हर उम्मत के लिए हमने एक कुर्बानी मुकरर फरमायी की अल्लाह का नाम ले उसके दिए हुए बेजुबान चौपायों पर.
पारा १७ रुकू 11 आयत 34

इस आयत से पता चला कि अल्लाह की बारगाह में कुर्बानी पेश करने का रिवाज बहुत पहले से चला आ रहा है . मगर इस्लाम से पहले इसकी सूरत दूसरी थी. वह इस तौर पर की जो कुर्बानी अल्लाह की बारगाह में मकबूल हो जाती तो एक सफेद रंग की बगैर धुवां वाली आग सराठे मारती हुई आसमान से उतरती थी और मकबूल कुर्बानी को जलाकर राख कर जाती थी , जिसे लोग अपनी आंखों से देखते थे . यहां तक कि लोग झगड़े की सूरत में अपने हककानियत भी इसी तरह साबित करते थे कि जो सच्चा होता था उसके क़ुरबानी को आग जला जाती थी . झूटे की कुर्बानी यूं ही पड़ी रहती थी .

चुनांचे जब हाबिल और  काबिल अक्लीमा नामी  एक औरत के बारे में झगड़े कि वह किसके लिए हलाल है तो इन दोनों ने कुर्बानियां पेश की . जिसे उन्होंने पहाड़ पर रख दिया था . हबील की कुर्बानी कुबूल हुई की उसे गैबी आग जला गई . काबिल की कुर्बानी रद्द कर दी गई उसी तरह रही . मगर उम्मते मोहम्मदिया को यह भी एक खुसूसियत हासिल है कि वह अपनी कुर्बानी के गोश्त को खुद खा सकते हैं . और इस तरीके से पता भी नहीं चलता कि हमारे दिल का खुलूस क्या है . और हमारे दिल में सच्चाई क्या है अल्लाह तबारक व ताला ने हमारे राज को छुपा कर रखा है.

हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का ख्वाब | Hazrat Ibrahim ka khwab

मेरे अजीज दोस्तों अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम  की कुर्बानी के वाकया को कुरान में इस तरह बयान फरमाया . अल्लाह का फरमान है : तो हमने उसे खुशखबरी सुनायी एक अक़लमंद  लड़के की , फिर जब वह उसके साथ काम के काबिल हो गया कहा है मेरे बेटे मैंने ख्वाब देखा मैं तुझे ज़बह करता हूं अब तू देख तेरी क्या राय है .
धारा 23 1677 आयत 102

रिवायत है की  हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने आठवीं ज़ुल्हाज्जा की रात को ख्वाब में देखा कि कोई कहने वाला कह रहा था कि अपने बेटे को ज़बह करो. जब सुबह को उठे तो सारा दिन इसी शशो पंज में गुजरा की ना मालूम यह हुक्म वाकई अल्लाह की जानिब से है या वास्वासा है . इसीलिए इस दिन का नाम यौमुत तर्वियाह यानि सोच का दिन है . 9 जिल हिज्जा को ख्वाब में इसी तरह का हुक्म सुना तो सुबह को उठे तो यकीन किया कि वाकई यह हुक्म अल्लाह ताला की तरफ से है , इसीलिए इस दिन का नाम यौमे अरफा यानी पहचानने का दिन रखा . फिर यही एक ख्वाब 10 जिलहिज्जा की  रात को देखा तो सुबह उठकर यह अजम किया और पक्का इरादा किया कि साहबजादे को जरूर ज़बह करूंगा , इसलिए इस दिन का नाम यौमुन नहर यानी कुर्बानी का दिन रखा गया.

रूहुल बयान , तफसीरे तिब्यानुल कुरान 

नबियों के ख्वाब की हकीकत

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों इस बात पर अहले सुन्नत वल जमात का इत्तिफाक है कि अंबिया e किराम के ख्वाब भी वही की तरह हुआ करते हैं . हजरत इमाम बुखारी रहमतुल्ला अलेह ने यह हदीस नकल फरमाई है कि , हजरत आयशा सिद्दीका रजि अल्लाह ताला अन्हा से रिवायत है कि उन्होंने फरमाया सबसे पहले सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम पर जो वही नाजिल हुई वह ख्वाब के जरिए थी . इसी तरह हजरत इब्राहिम अली सलाम पर भी ख्वाब के जरिए वही नाजिल की गई कि वह हजरत इस्माइल अलैहिससलातो वससलाम को ज़बह करें .

अंबिया e किराम की आँखें सोती  हैं मगर दिल बेदार रहते हैं . जैसा कि बुखारी शरीफ में एक मकाम पर रिवायत है अंबिया ए क राम की आंखें सोती हैं मगर दिल बेदार होते हैं .

यह सारी चीजें हजरत इब्राहिम के ख्वाब में आई . इसके बिना पर आप अल्लाह तबारक व ताला की बारगाह में अपने महबूब चीज को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए . इसके आगे इंशा अल्लाह तबारक व ताला हजरत इस्माइल की रजामंदी और फिर शैतान का फरेब और उसकी चाल यह सारी चीजें मैं अगले Blog आपको बताऊंगा आप से गुजारिश है कि आप अपने दोस्तों को भी इस चीज को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमारे इस वेबसाइट से जुड़े रहें.


Qurbani ka aasan tarika | qurabni ki ahmiyat o fazilat

Qurbani ki ahmiyat o fazilat | Qurbani kis par wajib hai

2 thoughts on “Qurbani ki haqeeqat aur uski ahmiyat | History of Qurbani”

Leave a Reply