वजू की फ़ज़ीलत | वजू नमाज़ की कुंजी है | wazu ki fazilat
हजरत इब्ने उम्र रदिअल्लहु अन्हुमा से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : नामज़ तहारत के बगैर कुबूल नहीं होती . और सदका माले खयानत से कुबूल नहीं होता |
हजरत अबू हुरैरह रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है की रसोलुल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जब मुस्लमान वजू करता है तो मुंह धोते वक़्त जो पानी उस के मुंह से गिरता है , उसके साथ ही उसके मुंह के तमाम गुनाह झड जाते हैं . जिन गुनाहों का इर्तिकाब उस ने हाथों से किया था | और जब वो हाथ धोता है तो पानी के आखरी कतरे के साथ वो तमाम गुनाह दूर हो जाते हैं जो हाथों ने किये .यहाँ तक की वो तमाम सगीर गुनाह से पाक होकर निकलता है |
इसी तरह से जब इन्सान अपने सर का मसह करता है तो सर के पूरे गुनाह झड जाते हैं . और जब अपने दोनों पैरों को धोता है तो पानी के कतरे के सस्थ उसके पैरों के गुनाह भी झड जाते हैं |
इमाम तिरमिज़ी फरमाते हैं : ये हदीस सही हसन है |
(तिरमिज़ी शरीफ अब्वाबुत तहारत )
वजू नमाज़ की कुंजी है | wazu ki fazilat
हजरत मुहम्मद बिन हुमैफा से रिवायत है की नबी e करीम सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : वजू नमाज़ की कुंजी है | दुनयावी कामों को नमाज़ में हरम करने वाली चीज़ तकबीर e तहरीमा है .और हलाल करने वाला काम सलाम फेरना है |
(तिरमिज़ी शरीफ अब्वाबुत तहारत )
वजू के फ़राइज़ कितने हैं | Wazu ke faraiz
वजू में कुल ४ चीज़े फ़र्ज़ हैं जिन का करना हर हाल में ज़रूरी है | इन चरों फ़राइज़ में से अगर १ भी छूट जाये तो वजू नहीं होगा | और जब वजू नहीं होगा तो नमज या दूसरी उबादत भी ऐडा नहीं होंगी | ४ फ़र्ज़ ये हैं |
- चेहरा धोना ( पेशानी के ऊपर बाल उगने की जगह से थोड़ी के नीचे तक . और १ कान की लो से दूसरे कान की लो तक हर हिस्से का धोना ज़ूरी है |
- दोनों हाथों को कोहनियों के साथ धोना ( धोने में कोह्न्याँ भी शामिल हैं . अगर कोई हिस्सा छूता रह गया तो वजू नहीं होगा .
- चौथाई सर का मसह करना .
- दोनों पैरों को तख्न्नो के साथ धोना .
ये चार चीज़े वजू में ज़रूरी हैं . धोने का मतलब ये है की जिस चीज़ को धोया जा रहा है उसके हर हिस्से से पानी बह जाये . सिर्फ पानी से पोछ लेना धोना नहीं है | लिहाज़ा धोने में इस बात का ख्याल ज़रूर रखा जाये |
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