हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के सोने और जागने का तरीका
हमारे सरकार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की जिंदगी का हर हर गोशा हमारे लिए अमल के काबिल है . और खुद अल्लाह ताला ने इस बारे में इरशाद फरमाया कि बेशक तुम्हारे लिए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की ज़िन्दगी बेहतरीन नमूना है.
जब अल्लाह ताला ने हमें ऐसा रसूल अता फरमा दिया जिसकी जिंदगी हमारे लिए बेहतरीन नमूना है तो हमें हर हाल में उनकी इत्तिबा और हर काम में उन्हीं की पैरवी अपने लिए लाजिम और जरूरी समझना चाहिए . ताकि उनके नक्शे कदम पर चल कर हमारी जिंदगी का हर गोशा संवर जाए ,और हमें दीन और दुनिया की आबदी सा’दत मयस्सर आ जाएं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के तर्ज पर इबादत करना ही सुन्नत पर अमल पैरा होना कहलाएगा . बल्कि अपने तमाम कामों में इस बात का ख्याल रखना की रसुलुल्लाह सल्लाहू ताला अलैहि वसल्लम ने यह काम किस अंदाज में फरमाया है , यह सुन्नत की पैरवी करना कहलाएगा . खाना,पीना, उठना, बैठना ,सोना ,जागना ,तिजारत करना ,खरीदना, बेचना और इस जैसे ढेर सारी जाती जिंदगी से ताल्लुक रखने वाले मामलात में हमारे लिए हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की जिंदगी के नमूना पर अमल करना बेहतर है. बस जरूरत इस बात की है कि हम अपने दिल में सुन्नतों पर अमल करने का जज्बा पैदा करें .और अपनी जिंदगी का हर हर लम्हा सुन्नत के मुताबिक गुजारने की कोशिश करते रहे इसी में हमारे लिए दीन और दुनिया की स’आदत मंदी है.
नींद से बेदारी
सरकार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के सोने और बेदार होने के हवाले से बहुत सारी रिवायतें मिलती हैं उनमें से चंद् बातें मैं आपको बताऊंगा , हमें चाहिए कि हम सुन्नत समझ कर उसी के मुताबिक सोने और जागने की कोशिश करें.
नींद से बेदार होते ही हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम यह काम किया करते थे
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि अल्लाह ताला अनहूमा फरमाते हैं : हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम बेदार होने के बाद दोनों हाथों से चेहरा और आंखें मलते .
सही मुस्लिम पेज 526
मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों फितरी तौर पर ऐसा होता है कि जब इंसान नींद से बेदार हो तो नींद से बेदार होने के बाद आंखों में नींद का कुछ असर बाकी रहता है और बारहा ऐसा होता है कि और ज्यादा सोने की ख्वाहिश होती है .अगर इस सुन्नते मुबारक पर अमल कर लिया जाए तो जहां सुन्नत पर अमल का सवाब मिलेगा वही दुनिया का फायदा यह होगा कि आंखों से नींद का गलबा और खुमार खत्म हो जाएगा और तबीयत में कुछ चुस्ती और नशात पैदा हो जाएगी.
ऐसी जगह सोने से परहेज़ करना जरूरी है
हजरत जाबिर रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने लोगों को ऐसी छत पर सोने से मना फ़रमाया जिसमें मुंडेर ना हो , यानी ऐसे छत पर जिस में दीवार ना हो और लोगों के गिरने का खदशा हो उस पर सोने से मना फ़रमाया.
सुनन तिरमिज़ी हिस्सा 5 पेज 141
हजरत अली बिन शैबान रजि अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स किसी घर की ऐसी छत पर सोए जिस पर पर्दा और रुकावट की दीवार हो तो उसकी जिम्मेदारी खत्म हो गई .यानी अगर ऐसी जगह से फिर वह गिरता है तो वह अल्लाह के जिम्मे में होगा.
सुनन अबू दाऊद हिस्सा चार पेज 310
मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों इस जमाने में तो आमतौर पर छत के किनारे ईट वगैरह से घेरे हुए होते हैं , पहले ऐसा नहीं होता था . और आमतौर पर छत खजूर के तने वगैरह से बनी हुई होती थी जिसके किनारे खुले होते थे ,और घर आपस में क़रीब क़रीब होते . क्योंकि सोने में अक्सर सतर वगैरा के खुलने काअंदेशा होता है. इसलिए हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने ऐसी छतों पर सोने से मना फ़रमाया जिनके किनारे खुले हुए हो ताकि सतर वगैरा के मामले में बे एहतियाती ना हो. या तो इसकी वजह यह है कि जिस छत के किनारे दीवार वगैरह से घिरे हुए नहीं होते उनसे सोने वाले के गिरने का शक होता है इसलिए हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने ऐसे छत पर सोने से मना फ़रमाया है.
पैर पर पैर रखकर सोने से मना फ़रमाया
हजरत जाबिर रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने इस बात से मना फ़रमाया : कि आदमी चित लेटने की हालत में अपनी एक टांग उठा कर दूसरी टांग पर रखें.
सही मुस्लिम हिस्सा तीन पेज 1661
मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों यह एहतियात के लिए है वरना शरअन जायज है . एहतियात इस माना कर चित लेट कर पैर पर पैर रखने में सतर खुलने का अंदेशा होता है . अलबत्ता अगर कोई ऐसा कपड़े पहन कर सोए जिनमें सतर खुलने का अंदेशा ना हो तो कोई हर्ज नहीं है . मगर फिर भी क्योंकि हमारे आका सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने इस बात से मना कर दिया है , लिहाजा हमें बगैर किसी चूं और चीरा के उसे मानते हुए हर हाल में इससे बचना चाहिए . अगर कोई शख्स तहबंद पहने हुए चित लेट कर एक पर खड़ा करके दूसरा पैर उस पर रखे तो उसे उस काम से सख्ती से मना किया जाए कि इसमें सत्र खुलने का अंदेशा ज्यादा है.
पेट के बल लेटने से मना फ़रमाया
हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि रसूलूल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने एक शख्स को पेट के बल वोंधा लेटा हुआ देखा तो आपने फरमाया: लेटने का यह तरीका अल्लाह को नापसंद है.
सुनन तिरमिज़ी हिस्सा चार पेज 394
हजरत अबूजर ग्फारी रदीअल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि एक बार रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम मेरे पास से गुजरे , मैं पेट के बल लेटा हुआ था आपने क़दमे मुबारक से मुझे हिलाया और फरमाया: यह दोज़खियों के लेटने का तरीका है.
सुनन इब्ने माजा हिस्सा दो पेज 1227
पेट के बल लेटने में कई दीनी और दुनियावी नुकसान हैं . पहले तो यह की खुद अल्लाह ताला को नापसंद है ,और दूसरा यह कि हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के इरशाद के मुताबिक यह जहान्नामियों के लेटने का तरीका है . उसका दुनियावी नुकसान यह है कि पेट के बल लेटने से पेट दब जाता है और बदहजमी वगैरह पेट के अमराज़ का खौफ होता है . इसलिए हमें पेट के बल लेटने और सोने से बचना चाहिए कि यह अमल सुन्नत के खिलाफ भी है और इसमें दीनी और दुनियावी नुकसान आप भी है .
सोने से पहले हुजूर यह दुआ पढ़ा करते थे
हजरत हुजैफा रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि रसुलूल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम रात को जब बिस्तर पर लेटते तो अपना हाथ रुखसार यानी गाल के नीचे रख लेते और यह दुआ पढ़ते . अल्लाहुम्मा बिस्मिक अमूतु व अहया .
और जब नींद से बेदार होते तो यह दुआ करते .अल्हम्दुलिल्लाही लज़ी अहयाना बा’दा मा अमातना व इलैहिन नुशूर .
सही बुखारी हिस्सा 8 पेज 71
पहलली दुआ का मतलब यह है अल्लाह मैं तेरे नाम से जीता और मरता हूं . और दूसरी दुआ का मतलब है तमाम तारीफ अल्लाह के लिए जिसने हमें मरने के बाद जिंदा किया और उसी की जानिब लौट कर जाना है.
एक मोमिन की जिंदगी और उसकी मौत अल्लाह के नाम पर होनी चाहिए , जिंदगी का हर हर लम्हा अल्लाह की रजा जोई के लिए गुज़ारना चाहिए . जब आंख बंद हो तो अल्लाह का नाम लेकर और जब आंख खुले तभी जुबान पर अल्लाह की हम्द और उसकी तारीफ होनी चाहिए.