Huzoor ka libaas | Huzoor ka kapda,Topi ,aur Amaama

Huzoor Sallallahu alaihi wasallam ka pasandeeda Libaas

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाही  वबरकातुह. आज मैं आपको हुजूर सल्लल्लाहो ताला वसल्लम का पसंदीदा लिबास क्या था यानी आप को कपड़ों में पहनना क्या पसंद था इस बारे में बताऊंगा आप से गुजारिश है कि आप इसको पढ़ें जाने और अपने दोस्तों को भी बताएं और साथ ही हुजूर का लिबास जो पसंदीदा था उसको अपनी जिंदगी में लाने की कोशिश भी करें.

कुर्ता मुबारक | Huzoor ka libaas

कुर्ते को उर्दू में क़मीस भी कहते हैं | हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने कुर्ता भी पहना है . हिंदुस्तान में अमूमन मुसलमान वक्त फक्तन कुर्ता पहनते हैं . बल्कि यहां कुर्ता मुसलमान होने की अलामत समझी जाती है . हमारे आका सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम आमतौर पर सफेद रंग का कुर्ता इस्तेमाल फरमाते थे. और लोगों को भी इसी का हुक्म देते थे.
हजरत समुरा बिन जुन्दुब रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : सफेद कपड़े पहना करो क्योंकि यह ज्यादा पाकीजा हैं.
सुंनन तिरमिज़ी हिस्सा 5 पेज 117
जब्बा, कुर्ता ,पाजामा, अमामा, टोपी जो भी इस्तेमाल किया जाए सफेद रंग का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर है .इससे सादगी जाहिर होती है और इस्लाम को सादगी पसंद है.

हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम का सबसे पसंदीदा लिबास

हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाह ताला अन्हा से रिवायत है आप फरमाती  हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम को सब कपड़ों में से कुर्ता ज्यादा पसंद था.
सुनन तिरमिजी हिस्सा 4 पेज 43

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम कलीदार कुर्ता पहना करते थे . और उसे ज्यादा पसंद फरमाया करते थे . आज के जमाने में बहुत से मुसलमान ऐसे हैं जिनके पास एक कुर्ता भी नहीं है ,और अगर है भी तो फैशन वाला . अगर किसी फिल्म में कोई एक्टर किसी अंदाज़ का कुर्ता पहन लिया है तो हम उसे बड़े शौक से पहनते हैं और उसे पहनने में फक्र महसूस करते हैं .लेकिन हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने जिस अंदाज का लिबास पहना है उसकी जानिब हमारा कोई मैलान और तवज्जो नहीं होता , जबकि फिल्मी एक्टरों की नकल हमें जहन्नम के रास्ते पर ले जाने वाला अमल है . और हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की सुन्नत की पैरवी करना हमारे लिए सवाब का ज़रिया है और हमें जन्नत में ले जाने वाला अमल है.

हुजूर का कुर्ता मुबारक | Huzoor Ka Kurta Shareef

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि अल्लाह ताला अनहुमा से रिवायत है आप फरमाते हैं नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ऐसा कुर्ता पहना करते थे जो टखनों से ऊपर होती थी , और उसकी आस्तीन उंगलियों के सिरों के बराबर होती थी.
मोजम इब्नुल आराबी हिस्सा एक पेज 119
मेरे प्यारे दोस्तों हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम लंबा कुर्ता पहना करते थे . उसकी आसतीनें भी लंबी हुआ करती थी . कुर्ते की लंबाई टखनों से कुछ ऊपर तक होती और आस्तीन उंगलियों के किनारों तक लंबी होती .

हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की टोपी शरीफ

हदीस और सीरत की किताबों में अमामा शरीफ के अलावा हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के 3 किस्म के टोपियों का जिक्र मिलता है.
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि अल्लाह ताला अनहम  से रिवायत है आप फरमाते हैं : कि हुजूर सल्लल्लाहो ताला वसल्लम की तीन टोपिया थी , एक सफेद रंग की मिसरी टोपी थी ,दूसरी टोपी यमनी चादरों के कपड़े की बनी हुई थी, और तीसरी कानों वाली टोपी थी जिसे आम तौर पर हुजूर सल्लल्लाहो ताला वसल्लम सफर के दौरान पहना करते थे.
सुबुलुल हुदा वर्रशाद हिस्सा 7 पेज 284
मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों इस रिवायत से पता चला कि हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने टोपी भी पहनी है . लेकिन आप ज्यादातरअमामा पहना करते थे. मुसलमानों की अकसरीयत टोपी इस्तेमाल करती है ,बल्कि यह मुसलमानों की पहचान है . सुन्नत की नियत से टोपी पहनना भी अर्ज और सवाब का जरिया है.

हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम का अमामा मुबारक

हुज़ूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम नंगे सर नहीं रहा करते , सर पर कभी टोपी इस्तेमाल करते और ज्यादातर अमामा शरीफ इस्तेमाल फरमाया करते थे.
इस बारे में हजरत शैख़अब्दुल हक मोहद्दिस दहलवी रह्मतुल्लाही ताला अलेह फरमाते हैं : हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम का अमामा शरीफ ना तो बहुत बड़ा और भारी होता, कि सरे मुबारक पर बोझ हो और ना इतना छोटा की  सर पर तंग हो बलकी बराबर होता था . 14 गज से ज्यादा ना होता और कभी 7 गज का भी होता था.
मदरिजुन नुबुव्वाह जिल्द 1 पेज 787
हजरत अमर बिन हुरैस रजि अल्लाह ताला अनहम अपने वालिद से रिवायत करते हैं उन्होंने फरमाया कि गोया मैं तसव्वर में हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम को मिमबर शरीफ पर देख रहा हूं, कि आपने सियाह यानि काला अमामा शरीफ बांधा हुआ है .और उसके दोनों शिमले अपने दोनों मुबारक कानधों के दरमियान लटकाए हुए हैं.
सही मुस्लिम हिस्सा दो पेज 990
मोहद्दीसीन e किराम  ने नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के मुबारक शिमले की मिकदार का तय्युन फरमाया है .हजरत शेख अब्दुल हक मोहद्दिस दहलवी  तहरीर फरमाते हैं कि , उलमा e किराम  के नजदीक शिमले की लंबाई कम से कम चार उंगलियों के बराबर है और ज्यादा से ज्यादा आधी पीठ तक .उससे ज्यादा लंबाई इसबाल में शुमार है जो हराम और मकरूह है.

मदरिजुन नुबुव्वाह जिल्द १ , पेज ७८८ 

आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम अमामा शरीफ बांधने में गोलाई का अंदाज इख्रतियार फरमाया करते थे ,जैसा कि हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि अल्लाह ताला अन्फहुमा रमाते हैं कि ,नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम अमामा शरीफ बांधते हुए उसे गोलाई में सरे मुबारक के गिर्द लपेट के आखिरी हिस्से को पुशत की जानिब  छोड़ देते ,और एक किनारा दोनों मुबारक कंधों के दरमियान लटकाए रखते.
शाबुल इमान लील बैहक़ी हिस्सा एक पेज 209
हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम का अमामा शरीफ बांधना सुन्नते मूतवातिरा से साबित है . हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि अल्लाह ताला अन्हुमा से रिवायत है की हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम फतहे मक्का के दिन मक्का मुकर्रमा में इस हाल में दाखिल हुए कि आप के सरे मुबारक पर सियाह यानी काला अमामा बन्धा हुआ था.
सुनन इब्ने माजा हिस्सा दो पेज 942
हजरत अब्बाद बिन हमज़ा बिन अब्दुल्लाह बिन जुबेर रजि अल्लाह ताला अनहुमा से रिवायत है ,मुझे यह रिवायत मिली है कि बद्र के जंग के दिन फरिश्तों के सर पर ज़र्द जानी पीले रंग के अमामे थे और जब नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए तो आप भी ज़र्द रंग का अमामा बांधे हुए थे.
हजरत अबू हुरैरा राज़ि अल्लाहू तला अन्हू से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम बाहर तशरीफ लाए जबकि आप ज़र्द रंग की क़मीस, चादर और अमामा पहने हुए थे.

अस सीरातुल हल्बिय्या हिस्सा ३ ,पेज ४८२ 

हजरत फजल बिन अब्बास रजि अल्लाह ताला अनहुमा से रिवायत है आप फरमाते हैं की मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम के मर्ज के आखिरी दिनों में आप की खिदमत में हाजिर हुआ ,आपके सारे मुबारक पर ज़र्द रंग का अमामा था . मैंने सलाम अर्ज किया तो आपने फरमाया फजल : मैंने अर्ज़ किया लब्बैक या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम . आप ने फरमाया इससे मेरा सर बंधो मैंने बांध दिया फिर आप बैठ गए.
शमाइल ए तिर्मीजी हिस्सा एक पेज 121
हाफिज अबुल खैर सखावी राज़ीअल्लाह ताला अनहु फरमाते हैं कि मैंने आयशा सिद्दीका रज़िअल्लहु ताला अन्हा से मंसूब यह रिवायत पड़ी है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम सफर के दौरान सफेद और जब घर में होते तो काले रंग का अमामा शरीफ इस्तेमाल फरमाया करते थे.

सुबुलुल हुदा वर्रशाद हिस्सा ७ , पेज २७६ 

अमामा बंधते वक़्त इन बातों का ख्याल रखना चाहिए

इमाम अब्दुल रऊफ मनावी रह्तामतुल्ही ताला अलैहि फरमाते हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने कभी सफेद और कभी सियाह यानी काले रंग का अमामा बांधा.
इन रिवायात से चंद बातें मालूम होती हैं कि

  • हुजूर सल्लल्लाहो ताला वसल्लम ने मुख्तलिफ यानी अलग-अलग रंगों के अमामे पहने हैं , जिनमें से खास तौर पर आपने सियाह यानी काला, सफेद ,और ज़र्द रंग के अमामे ज्यादा इस्तेमाल फरमाए हैं.
  • अमामा बांधते वक्त शिमला छोड़ना चाहिए जो की पीठ पर लटका हुआ हो.
  • अमामा का शिमला ज्यादा से ज्यादा आधी पीठ तक होना चाहिए इससे ज्यादा नहीं रखना चाहिए.
  • अमामा गोलाई में बन्धा होना चाहिए.
  • हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने उम्र भर अमामे का इल्फतिजाम फरमाया है यहां तक की जाहिरी हयात के आखिरी दिनों में भी.
  • अमामा हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की अजीम सुन्नत है जिसका इस्तेमाल हमारे लिए अजर o सवाब का जरिया है.

Huzoor ke mutalliq kaisa aqeeda rakhna chahiye

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