Durood shareef ki fazilat 

Durood shareef ki fazilat

अस्सलाम वालेकुम व  रहमतुल्लाही व बरकात आज मैं आपको दुरूद शरीफ की फजीलत बताऊंगा अल्लाह तबारक व ताला ने कुरान में इरशाद  फरमाया  अल्लाह और उसके फरिश्ते नबी पर दुरूद भेजते हैं तो तुम भी नबी पर दुरूद भेजा करो |

आयते करीमा का पसे मंजर

मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों इस्लाम को मिटाने के लिए कुफ्फार  के सारे हरबे नाकाम हो चुके थे .मक्का के बेबस मुसलमानों पर उन्होंने जुल्म के पहाड़ थोड़े लेकिन उनके जज़्ईबा e ईमान को कम ना कर सके| उन्होंने अपने वतन घर बार अहलो अयाल  को खुशी से छोड़ना गवारा किया लेकिन हुजूर के दामन को मजबूती से पकड़े रहे. कुमार ने बड़े शद्द o मद  के साथ मदीना तैयबा पर बार-बार हमला किया लेकिन उन्हें हर बार अहले ईमान की मुक्तसर सी जमात ने हरा दिया |अब उन्होंने हुजूर की ज़ात  पर तरह-तरह के बेजा इल्जामात तलाशने शुरू कर दिए ताकि लोग रुषदो हिदायत के इस शमा  से नफरत करने लगे |और इस तरह इस्लाम की तरक्की रुक जाए |

अल्लाह ताला ने यह आयत नाजिल फरमा कर उनकी उम्मीदों कोख़ाक में मिला दिया कि यह मेरा ऐसा हबीब और ऐसा प्यारा रसूल है जिसकी तारीफ और सना मैं खुद करता हूं और मेरे सारे फरिश्ते अपने नूरानी और पाक़ीज़ा जबानों से उसकी जनाब में हदिया पेश करते हैं . तुम चंदू लोग अगर मेरे महबूब की शान में गुस्ताखी करते भी रहो तो सुनो जिस तरह तुम्हारे पहले मंसूबे ख़ाक में मिल गए और तुम्हारी कोशिशें नाकाम हो गई उसी तरह इस नापाक मुहिम में भी तुम ख़ाइब o ख़ासिर रहोगे |

इस आयते करीमा के तहत अल्लामा अनवारूललाह ने अपने किताब में चंद नुकते तहरीर किए हैं जिनसे रब की बारगाह में सरकार की अजमत जाहिर होती है |एक मोमिन बंदा के लिए यह जरूरी है कि दुरुद ओ सलाम पढ़ने से पहले सरकार सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की अजमत को जाने और अपने दिल में उनकी अजमत को बिठा ले .और फिर दुरुद ओ सलाम पड़े . इम्षा अल्लाह बहुत लुत्फ़ आएगा |

पहला नुक्ता

आयते करीमा अय नबी  बेशक अल्लाह और उसके फरिश्ते दुरूद भेजते हैं गैब  बताने वाले नबी  पर अय ईमान वालो तुम भी उन पर दुरूद और खुब सलाम भेजो | अगर आप इस आयते करीमा में गौर फरमाएं तो पता चलेगा कि अल्लाह के कलाम का आगाज इन्ना से हुआ अरबी जवान में इन्ना शक को दूर करने के लिए आता है. अब यहां सवाल यह पैदा होता है कि वह कौन लोग थे जिनके शक के  इजाला को इस कलामें क़दीम में मल्हूज़  रखा गया है |और इन्ना  के जरिए इनके शक का इज़ाला किया गया है| यह बात सब जानते हैं कि जिस जमाने में इस आयते करीमा का नुजूल हुआ उस वक्त 3 किस्म के लोग मौजूद थे |

पहला गिरोह इस्लाम के मानने वाले यानी साहबए कराम का था | दूसरा गिरोह इस्लाम का इनकार करने वाले  यानी कुफ्फर और मुशरिकीन का था |और तीसरा गिरोह  मुनाफिकीन का था जो अंदर से काफिरो मुरतद थे  और ऊपर से इस्लाम के दावेदार थे | कुरान और साहिबे कुरआन  सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम पर सहाबा इकराम का इमान तो इतना पुख्ता और मस्तहकम था कि वहां शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी |अब रह गए खुले कुफ्फर और मुशरिक  तो वह सिरे से इस आयते करीमा में मुखातब ही नहीं है .इसलिए कि उनके कुफर के   सबब उनके इनकार और शक  के इजाले का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता |

अब रह गया एक गिरोह मुनाफिकीन  का यह तबका ऐसा है कि एक तरफ तो वह कुरान पर ईमान लाने का दावा भी करते हैं और दूसरी तरफ अपने दिलों में कुफर  और हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम की अजमत के इनकार का अकीदा  भी छुपा कर रखते थे |और इस तबका के अफराद  की  कमी अब भी  नहीं है. बहरहाल इस दौर के मनाफिकीन  हो या बाद के आने वाले इसी खसलत  के लोगों को इस आयते करीमा में तंबीह  की गई है| कि जब सबका हाकिम  और सबका मालिक यानि अल्लाह और उसके तमाम फरिश्ते हमेशा सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम पर दुरूद भेजते हैं |

तो सल्तनत ए इस्लामिया के वफादार रियाया का फर्ज क्या होना चाहिए ? और उसके महबूब  की अजमत उनके दिलों में किस क़दर होनी चाहिए |और किस दर्जा दुरुद ओ सलाम का उन्हें इस्तेमाल करना चाहिए | जब कि सराहत साथ नबी की बारगाह में दुरूद भेजने का हुक्म सादिर  हो गया तो अब शक की क्या गुंजाइश रह गई | इतनी ताकीद  के बाद भी अगर किसी का दिल नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि  वसल्लम की अजमत के आगे ना झुके तो समझ लीजिए की उसके अंजाम पर बदबख्ती  की मुहर लग गई है |

दूसरा नुक्ता | नबी पर दुरूद o सलाम क्यं भेजें

अगर आप इस आयते करीमा में गौर फरमाएं तो पता चलेगा कि इस आयत में अल्लाह ताला ने दुरूद  भेजने वाले फरिश्तों का जिक्र किया तो उन्हें अपनी तरफ मंसूब करके अपना फरिस्ता कहा है | हालांकि देखा जाए तो सारे फरिश्ते अल्लाह ही के हैं मगर जहां हजरत आदम अलैहिस्सलाम के सजदे का जिक्र किया वहां फरमाया  :  सारे फरिश्तों ने आदम अलैहिससलाम को सजदा किया ” वहां पर फरिश्तों का तजकिरा  अपनी तरफ मनसूब नहीं फरमाया |

अंदाजे बयान से दरबार ए खुदा वंदी  में नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैहि  वसल्लम के उस मकामें  तक़र्रुब  का पता चलता है कि जो फरिश्ते उन पर दुरूद भेजते हैं वह भी अपने हो गए| यह शान सिर्फ महबूब ही की हो सकती है , कि जिसे उनकी तरफ किसी तरह की निस्बत हासिल हो जाए वह भी महबूब हो जाए| और खास बात यह है कि जब लफ्जे सलात  के निस्बत अल्लाह ताला की तरफ हो तो उसका माना यह होता है कि अल्लाह ताला फरिश्तों के भरी महफिल में अपने मजबूत की तारीफ और  सन्ना करता है | हुजूर सल्लल्लाहो ताला वसल्लम खुद इरशाद फरमाते हैं कि दुरुद जो है अल्लाह तबारक व ताला की तरफ से मुझ पर उसकी  सना है .

और अगर लफ्जे सलात  की निस्बत मलाइका की तरफ हो तो सलात  का माना दुआ है कि मलाइका अल्लाह ताला की बारगाह में उसके प्यारे रसूल के दरजात की बुलंदी और अजमत के लिए दुआ में मशरूफ रहते हैं | दुरूद पढने  वाले बंदे पर अल्लाह ताला हमेशा अपनी बरकते नाजिल फरमाता रहता है | और उसके फरिश्ते दुरुद पढ़ने के बरकतों से पड़ने वाले की शान की बुलंदी  के लिए दुआएं मांगते रहते हैं| तो ईमान वालों तुम भी मेरे महबूब की अजमत ए शन के लिए दुआ मांगा करो कि अल्लाह अपने रसूल के ज़िक्र को बुलंद फरमा | उनके दीं को गलबा दे  और उनके शरीयत को बाकी रख .उनकी शान को इस दुनिया में बुलंद फरमा और रोजे क़यामत उनकी शिफा’अत कुबूल फरमा |

दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत अहादीस की रोशनी में

हजरत अनस बिन मालिक रजि अल्लाह ताला अनहु  से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिसने मुझ पर एक मर्तबा दुरूद पढ़ा अल्लाह ताला उस पर 10 रहमत नाजिल फरमाता है और 10 गुनाह  मिटा देता है|

तिरमिज़ी  शरीफ

    मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों हुजूर पर एक बार दुरूद शरीफ पढ़ने के बदले अल्लाह ताला जो 10 रहमते नाजिल फरमाता है वह अपनी शान के मुताबिक नाजिल फरमाता है | देखो सखी जब कुछ देगा तो अपने शान  के मुताबिक ही देगा | और जब गलती को माफ फरमाएगा तो वह भी अपने शान के मुताबिक ही माफ फरमाएगा | दर हकीकत अल्लाह ताला को अपने महबूब सल्तालाहू टला अलैहि  वसल्लम से इतनी मोहब्बत है कि उसकी रहमत अपने महबूब की उम्मत को बक्शने  के मुख्तलिफ बहाने ढूंढती रहती है. ताकि उम्मत के नजात पर महबूब की आंखों को ठंडक हो | इन बहनों में सबसे मुफीद और रब की रहमत को मुतावाज्जह  करने वाला अमल दुरुद है | जिस पर तमाम औलियाए कराम और तमाम उलमाए किराम पाबंद रहे . लिहाजा अपने दफ्तर से अगर गुनाहों को मिटाना हो और अपने नामय  अमल में नेकियों को बढ़ाना हो तो दुरूद शरीफ की  कसरत करो |

अल्लाहुम्मा सल्ली  अला साईदीना मुहम्मद व अला अली सय्यिदिना  मोहम्मद व बारिक वसल्लिम | 

हजरत अनस बिन मालिक रजि अल्लाह ताला अनहु  से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जिसने मुझ पर एक बार दुरूद पढ़ा अल्लाह ताला उस पर 10 रहमतें  भेजता है |और उसके 10 गुनाह  मिटा देता है ,और उसके 10 दर्जे बुलंद फरमाता है |

मिस्कात  शरीफ पेज नंबर 86

आज हर कोई बुलंदी चाहता है ,हर काम में तरक्की चाहता है , हर मुकाम पर बुलंदी चाहता है ,तो जो  बुलंदी के तलबगार हैं आओ मेरे महबूब सल्लाहू  ताला अलैहि  वसल्लम पर सच्चे दिल से दुरुद पढ़ो| और दुरुद पढ़ने की आदत बना लो | इंशाल्लाह दुनिया ही में नहीं बल्कि आखिरत में भी बुलंदी हासिल हो जाएगी |

अल्लाहुम्मा सल्ली  अला साईदीना मुहम्मद व अला अली सय्यिदिना  मोहम्मद व बारिक वसल्लिम | 


Juma ke din durood shareef padhne ki fazilat

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